शरीर तभी व्याधि की खान बन जाता है | जब विहित करणीयों की अवज्ञा कर समय को लुप्त करके वृत्ति-बेहोश आलस्य प्रश्रय पाता है, और यह आलस्य ही तभी सर्वक्षण उपच उठाता है मरण-दुन्दुभि लेकर विनाश पुकारता है-आओ। -#श्रीश्रीठाकुर (शाश्वती) यूट्यूब चैनल से जुड़ने के लिए इस लिंक पर जाए https://youtube.com/c/SATASNGDEOGHAR
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