शरीर तभी व्याधि की खान बन जाता है |
जब विहित करणीयों की अवज्ञा कर समय को लुप्त करके वृत्ति-बेहोश आलस्य प्रश्रय पाता है,
और यह आलस्य ही तभी सर्वक्षण उपच उठाता है मरण-दुन्दुभि लेकर विनाश पुकारता है-आओ।
-#श्रीश्रीठाकुर
(शाश्वती)
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tushar Chakrborty. Joy guru
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