Satwati

प्रसंग: सत्यानुसरण 

थोड़ी सी भी दुर्बलता रहने पर तुम ठीक-ठीक अकपट नहीं हो सकोगे पर जब तक तुम्हारे मन मुख में एक नहीं होते जब तक तुम्हारे अंदर की मलिनता दूर नहीं होगी। 

श्री श्री पितृ देव सप्तर्षि को चर्चा करने का आदेश देते हैं  । सप्तर्षि- दुर्बलता रहने पर और कपट नहीं बन पाऊंगा और अकपट होने का अर्थ है -  चिंतन और कथन एक जैसा होना। 
 श्री श्री पितृ देव- चिंतन और कथन एक जैसा होने पर दुर्बलता नहीं रहती है चिंतन और कथन एक जैसा होना दुर्बलता दूर होने का मेन फेक्टर है। 
 जय गुरु। 

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